Monday, October 15, 2007

शुन्य

"शुन्य" एक शब्द , परंतु इस एक शब्द मे कितना कुछ छुपा रखा है। मैंने सुना है जब स्वामी श्री विवेकानंद जब लन्दन गए थे तो उन्हें मुश्किल से पांच मिनट का समय मिला था "शुन्य" पर कहने को, परंतु जब उन्होने बोलना शुरू किया तो वे लगातार ४८ घंटो तक इसकी व्याख्या करते रहे, और लोग तब भी संतुस्ट नही हुये । मेरी ये हार्दिक अभिलाषा है कि मैं उनकी उस व्याख्या को पढ़ सकू ।
आज मेरी ये अभिलाषा पूर्ण होने वाली है , विस्तृत खोज के बाद मुझे वे दस्तावेज मिल ही गए जिसमे स्वामी विवेकानंद जी के उस भाषण कि व्याख्या है जो उन्होने "शुन्य" पर दी थी । चुकी ये दस्तावेज अंग्रेजी मे है , इसलिये मैं इसका हिंदी मे अनुवाद करने कि कोशिश केर रहा हूँ।

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